Here are top 50 Akelepan zindagi dard bhari shayari in hindi
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कभी किसी से दिल लगाकर देख लेना, एक बार मुस्कुराकर देख लेना, ये दुनिया तुम्हें अंधेरों में ले जाएगी, एक बार दिल से दिल लगाकर देख लेना।
बहुत रोता है दिल, जब अकेला होता है, दर्द भी अपना हमसफ़र बन जाता है, किसी को बताने की जरूरत नहीं होती, जब दिल अकेला ही सब कुछ सह जाता है।
इस अजनबी शहर में तन्हा क्या करते, दर्द-ए-दिल किसी से कहते तो क्या करते, हर एक शख्स हर किसी से दूर था, पास कोई आता तो खुद से क्या करते।
दर्द की इन राहों में हमने भी कदम रखा, अकेलेपन ने हर खुशी को हमसे छीन लिया, मुस्कुराने की वजह नहीं मिलती अब हमें, क्योंकि अपने भी अब पराए लगने लगे हैं।
अकेलेपन का आलम है, कोई पास नहीं आता, इस दिल का दर्द अब सहा नहीं जाता, अपनों ने जबसे पराया बना दिया, अब कोई भी इस दर्द को समझ नहीं पाता।
तन्हा रहना हमारी किस्मत बन गई, हर खुशी हमसे बेगानी हो गई, अपनों ने भी जबसे साथ छोड़ दिया, तबसे तन्हाई हमारी दोस्त हो गई।
कभी किसी ने पास आकर दर्द बांटा नहीं, अकेलेपन का सफर यूं ही कटता चला गया, खामोशी भी अब हमसे बातें करने लगी, और गम का साया दिल पे रहता चला गया।
आंखों से आंसू बहाना भी अब अच्छा लगता है, अकेलापन भी अब अपना सा लगता है, जब कोई नहीं था हमारे साथ, तब दर्द ही हमारा सच्चा दोस्त लगता है।
किस्मत का खेल भी अजीब होता है, जब दिल टूटता है, तो कोई नसीब होता है, अकेलापन भी हमें गले लगा लेता है, और फिर दर्द ही हमारा नसीब होता है।
हर रात का गम अब सहा नहीं जाता, अकेलेपन में दिल अब रहा नहीं जाता, कोई तो आए हमारे पास, इस दर्द को और अब सहा नहीं जाता।
बहुत अकेला सा दिल लगता है, जब कोई अपना भी अपना नहीं लगता है, दर्द दिल का कोई समझ नहीं पाता, और खुशी का कोई रास्ता नहीं मिलता है।
कभी हंस कर भी देखा इस अकेलेपन में, खुद को ही दर्द का साथी पाया इस बेबसी में, कोई नहीं जो हमारे साथ खड़ा हो, इसलिए दर्द को ही हमने अपना बना लिया इस तन्हाई में।
ना कोई अपना, ना कोई साथ देने वाला, इस अकेलेपन में बस दर्द है साथ देने वाला, हंसने की वजह भी छूट गई है अब, क्योंकि अपने भी दूर हो गए हैं हमें छोड़ने वाला।
तन्हा रातें, तन्हा दिन गुजर रहे हैं, इस दिल के दर्द में अब हम सुलग रहे हैं, कोई अपना नहीं दिखता इस भीड़ में, इसलिए हम खुद को खुद से ही सुलग रहे हैं।
अकेलापन अब हमारा साथी हो गया, दर्द भी अब हमारा साथी हो गया, खुशियों से कोई वास्ता नहीं रहा अब, क्योंकि इस तन्हाई में दर्द ही हमारा साथी हो गया।
बहुत हंसकर भी इस दिल को छुपाया, अकेलेपन में दर्द को भी हमने गले लगाया, कोई नहीं था हमारे साथ, इसलिए हमने दर्द को ही अपना बनाया।
इस अंधेरे में कोई रोशनी नहीं दिखती, तन्हाई भी अब अपनी सी लगती, अकेलेपन ने जो दर्द दिया है हमें, उसे किसी से कह भी नहीं सकते।
हर शाम तन्हाई में खो जाती है, दिल की तड़प और भी बढ़ जाती है, दर्द भी हमारा दोस्त बन गया है, और तन्हाई अब हमारी पहचान बन जाती है।
कभी सोचा था, कोई हमारा होगा, लेकिन अकेलापन ही हमारा साया होगा, इस दर्द को कोई समझ नहीं सकता, क्योंकि अकेलेपन का ये रास्ता कभी नहीं कटता।
दर्द का नाम हमने अकेलेपन में रखा, हर खुशी को हमने दर्द में देखा, इस दिल का हाल अब किसी को ना बताएं, क्योंकि तन्हाई में दर्द को ही अपना साथी बनाया।
खुद को कभी अकेला मत समझना, दर्द को कभी अपना मत समझना, हम तुम्हारे साथ हैं हर गम में, बस तुम अपने दिल को दर्द से दूर रखना।
अब तो ये अकेलापन भी अपना सा लगता है, दर्द भी अब सच्चा साथी लगता है, जबसे अपनों ने दूर किया है हमें, तन्हाई भी अब अपना सा लगता है।
कोई भी नहीं हमारे पास अब, बस दर्द ही अब हमारा साथी है सब, कोई अपना नहीं दिखता इस भीड़ में, इसलिए अकेलापन ही हमारा साथी है सब।
अकेलेपन का सफर इतना लंबा हो गया, कि दर्द भी अब अपना लगने लगा, कोई नहीं जो हमारे साथ हो, इसलिए हमने तन्हाई को ही अपना बना लिया।
इस दिल की तन्हाई कोई समझ नहीं पाता, दर्द को कोई हमसे दूर नहीं कर पाता, अकेलेपन का ये सफर बहुत लंबा है, कोई नहीं जो हमें समझ पाता।
तन्हाई भी अब हमें अच्छी लगने लगी, इस दिल की उदासी भी सच्ची लगने लगी, कोई नहीं है हमारे साथ अब, इसलिए हमने दर्द को ही अपना बना लिया अब।
हर रात तन्हाई में बितानी पड़ती है, इस दिल की तड़प कोई नहीं देख पाता है, दर्द अब हमारा साथी बन गया है, और खुशी का कोई रास्ता नहीं मिलता है।
तन्हा रातें अब आदत सी लगती हैं, दिल की तड़प भी अब अपनी सी लगती है, कोई नहीं जो हमारे पास हो, इसलिए हमने दर्द को ही अपना बना लिया।
अकेलेपन में दर्द भी अच्छा लगता है, जब कोई पास नहीं होता, खुद से अच्छा लगता है, इस दिल का हाल अब कोई नहीं जान सकता, क्योंकि दर्द ही अब हमारा साथी लगता है।
इस दिल की तन्हाई को अब समझना मुश्किल है, दर्द को कोई हमसे दूर नहीं कर सकता है, अकेलेपन का ये सफर बहुत लंबा है, कोई नहीं जो हमारे साथ खड़ा हो।
बहुत सोचा था कि कभी किसी से दिल नहीं लगाना, लेकिन अकेलेपन में खुद को ही हमने पाया है, दर्द की राहों में अब कोई नहीं दिखता, इसलिए हमने खुद को ही तन्हा पाया है।
दर्द की रातें अब सहा नहीं जातीं, अकेलेपन की बातें अब सुनी नहीं जातीं, कोई अपना नहीं है हमारे साथ अब, इसलिए हमने खुद को ही गले लगाया है।
हर शाम तन्हाई में बिताई जाती है, इस दिल की तड़प कोई नहीं समझ पाता है, दर्द अब हमारा साथी बन गया है, और तन्हाई हमारी पहचान बन जाती है।
अकेलेपन का ये सफर बहुत लंबा है, इस दिल का दर्द कोई नहीं समझ पाता है, कोई नहीं जो हमारे साथ हो, इसलिए हमने दर्द को ही अपना बना लिया है।
तन्हाई में जो दर्द है, वो किसी से कह नहीं सकते, दिल की तड़प को किसी से बयान नहीं कर सकते, अकेलेपन का ये सफर इतना लंबा हो गया है, कि अब कोई भी अपना नहीं लगता है।
दर्द की राहों में अकेले चल रहे हैं, तन्हाई के साये में हम पल रहे हैं, कोई अपना नहीं दिखता इस भीड़ में, इसलिए हम खुद को खुद से ही मिल रहे हैं।
कभी किसी ने दर्द को समझा नहीं, अकेलेपन को किसी ने देखा नहीं, इस दिल की तन्हाई को कोई नहीं समझ पाया, इसलिए हमने खुद को ही दर्द में पाया।
तन्हाई अब हमारी साथी बन गई, दर्द भी अब हमारी साथी बन गई, कोई नहीं जो हमारे साथ हो, इसलिए हमने खुद को ही अकेला बना लिया।
कभी सोचा था कि किसी को अपना बनाएंगे, लेकिन अकेलेपन में खुद को ही पाया है हमने, दर्द की राहों में अब कोई नहीं दिखता, इसलिए हमने खुद को ही तन्हा पाया है।
इस दिल का दर्द कोई समझ नहीं पाता, अकेलेपन में कोई भी पास नहीं आता, तन्हाई का ये सफर बहुत लंबा हो गया, और अब कोई भी अपना नहीं लगता है।
तन्हाई की राहों में अकेले चल रहे हैं, दर्द का साया हम पर गहरा हो गया है, कोई नहीं जो हमारे साथ हो, इसलिए हमने खुद को ही तन्हा बना लिया है।
दिल का दर्द अब किसी से नहीं कह सकते, अकेलेपन का ये सफर अब लंबा हो गया है, कोई नहीं जो हमारे साथ खड़ा हो, इसलिए हमने खुद को ही तन्हा बना लिया है।
कभी सोचा था कि किसी को अपना बनाएंगे, लेकिन अकेलेपन में खुद को ही पाया है हमने, दर्द की राहों में अब कोई नहीं दिखता, इसलिए हमने खुद को ही तन्हा पाया है।
अकेलेपन में जो दर्द है, वो किसी से कह नहीं सकते, दिल की तड़प को किसी से बयान नहीं कर सकते, अकेलेपन का ये सफर इतना लंबा हो गया है, कि अब कोई भी अपना नहीं लगता है।
दर्द की राहों में अकेले चल रहे हैं, तन्हाई के साये में हम पल रहे हैं, कोई अपना नहीं दिखता इस भीड़ में, इसलिए हम खुद को खुद से ही मिल रहे हैं।
तन्हा रहना अब हमारा नसीब बन गया, दर्द भी अब हमारा सच्चा अजीब बन गया, कोई नहीं जो हमारे साथ खड़ा हो, इसलिए हमने तन्हाई को ही अपना बना लिया।