Introduction
Amaanat is in the style of the famous poet, lyricist and filmmaker, Gulzar Shayari perhaps one of the most creative and authoritative shayari writers who focuses upon depth and simplicity of feelings of love, separation and life. The things he said narrate the struggles that people go through making use of simple language that appeals to people’s emotions. Shayari penned down by Gulzar have universal appeal because common man is able to identify his emotions, which he cannot describe. No matter how brief Gulzar’s Shayaris are, at two lines, or how elaborate they may be, there is a charm and feeling in every single creation that can be felt in the heart.
Gulzar Shayari
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तुमसे मिलकर बिछड़ना भी क्या खूब हुआ,
कम से कम खुद को आजमाने का सबब तो मिला।
शाम से आँख में नमी सी है,
आज फिर आप की कमी सी है।
तन्हाई सी तन्हाई है,
पर तन्हाई में भी तन्हाई कम है।
वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर,
आदत इस की भी इंसान सी है।
धूप के रंग बदन पर सजाए हुए,
छाँव के गीले ग़मों को छुपाए हुए।
ज़िन्दगी भी अजीब खेल खेलती है,
हम सिर्फ गुज़रते हैं, ये फिसलती है।
हाथ छूटें भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते,
वक़्त की शाख़ से लम्हें नहीं तोड़ा करते।
रिश्तों की किताब का एक पन्ना कम था,
जो मोड़ लिया था तुमने, वही सबसे अहम था।
हम भी अब खामोश रहना सीख गए हैं,
दुनिया को हंसाने में रोना भूल गए हैं।
हम किसी से ज़रा कम नहीं थे,
सिर्फ लफ्ज़ों की अदायगी में दम नहीं थे।
2 Line Gulzar Shayari
रोज़ नए ख़्वाब बनाना मेरी आदत है,
और उन्हें सच्चा करना मेरी हिम्मत है।
दूरी का एहसास भी बड़ा अजीब है,
दिल कहीं और, और धड़कन कहीं और है।
खामोशी में दर्द छुपा होता है,
हर हँसी के पीछे ग़म छुपा होता है।
सन्नाटा है, आहट है, और धड़कन की गूँज है,
सब कुछ है, मगर तुम नहीं हो।
हर दिन एक नया ख्वाब सजाना पड़ता है,
यादों के बवंडर को दबाना पड़ता है।
तुम्हारे बिना भी अब रोज़ मुस्कुराते हैं,
ये सिखा है तुमसे ही, कैसे जीते जाते हैं।
दर्द का क्या है, वो तो याद बन जाता है,
पर हर आहट तुम्हारी कहानी कह जाता है।
ज़िंदगी की राह में हर मोड़ पे तुम्हें पाया,
फिर भी कहीं न कहीं खुद को अकेला पाया।
दोस्ती का हिसाब कभी किताबों में नहीं मिलता,
ये वो दौलत है जो हर ख्वाब में नहीं मिलता।
उम्मीदों का वो साया फिर से ढल गया,
मोहब्बत का वो मौसम फिर से निकल गया।
दिल को छूने वाली गुलजार शायरी
दिल भी कहां अब संभल पाता है,
जब भी उसकी यादों में डूब जाता है।
कभी खामोश रहना, कभी चीखना ग़ज़ब का है,
तुम्हारे जाने के बाद भी ये दिल बेकरार रहता है।
तेरे बिना जीना भी एक सजा है,
जो तुझसे दूर हो जाए, वो भी खुदा है।
दिल से दिल की कहानी नहीं कही जाती,
ये वो चीज़ है जो सबको नहीं बताई जाती।
तू साथ हो तो रास्ता भी कट जाता है,
और न हो तो हर रास्ता सज़ा बन जाता है।
कभी आंसू और मुस्कान का खेल होता है,
ये दिल तुझसे हर रोज़ ही मेल होता है।
वो पास होते तो शायद हम मुस्कुरा पाते,
और दूर रहकर हर रोज़ खुद को समझा पाते।
कहते हैं दिल की धड़कन धीमी हो जाती है,
जब किसी की याद में ये आँखें भीगी हो जाती हैं।
खामोशियों में भी बातें छुपी होती हैं,
बस उन्हें पढ़ने वाले आँखें नहीं रखते।
तुम्हारी यादें भी अब समझदार हो गई हैं,
खामोश रहती हैं, मगर बेचैन बहुत करती हैं।
Gulzar Shayari in Hindi
कभी-कभी ख़ुद को ही खो देता हूँ,
इन ख्यालों में कहाँ जा बैठा हूँ।
तुम्हारे बिना भी अब हम जीने लगे हैं,
ये वो सजा है जो हमने खुद चुनी है।
खामोशी के सफर में कोई शोर नहीं होता,
बस आँखों की जुबां होती है और कुछ नहीं होता।
वक़्त के साथ सबकुछ बदल गया है,
वो भी और उसका प्यार भी।
दिल की धड़कनों को अब मैं समझने लगा हूँ,
तुमसे दूर होकर खुद को जानने लगा हूँ।
तेरी यादों के बगैर जीने की कोशिश है,
दिल को अब खुद से मिलाने की कोशिश है।
न जाने क्यूँ ये आँखें तुम्हें ढूंढती हैं,
तुम्हारी राह में हर पल खड़ी रहती हैं।
रातों की नींद में अब सुकून नहीं मिलता,
तेरी यादों का बोझ है, कुछ और नहीं मिलता।
तुम्हारे जाने से पहले भी कुछ था,
अब तो सिर्फ खामोशी और सन्नाटा है।
इस दिल को अब खुद से ही प्यार होने लगा है,
तुम्हारे बाद खुद को जानने का सफर होने लगा है।
Shayari Gulzar
ख्वाबों की ताबीर में अक्सर धोखा होता है,
कोई और होता है, और किसी और का किस्सा होता है।
इश्क़ भी एक सवाल है, जवाब भी नहीं,
अब इसमें उलझे रहें या ख़ुद को सुलझाएं।
रातें भी धुंधली हो जाती हैं,
जब कोई अपना दूर हो जाता है।
गम को सहने की भी एक आदत सी हो गई है,
तुमसे मिलने के बाद ही ये सज़ा सी हो गई है।
बातों में छुपे जज्बात कहने में डरते हैं,
यही वजह है कि अक्सर हम अकेले रहते हैं।
तुम्हारी यादें हर रोज़ सताती हैं,
फिर भी हम खुद को तसल्ली दे पाते हैं।
कभी सोचते हैं कि कह दें दिल की बातें,
फिर खामोशी में गुम हो जाते हैं।
ख्वाबों की चादर में हम अक्सर लिपट जाते हैं,
तेरी यादों के अक्स में हम अक्सर सिमट जाते हैं।
अब तो इन आँखों में भी कोई ख्वाब नहीं,
ये दिल भी कहता है कि कोई हिसाब नहीं।
खामोश रहकर भी बहुत कुछ कह दिया,
इस दिल ने अपने ही जख्मों को सह लिया।
Conclusion
Gulzar’s Shayari beautifully captures the intricacies of human emotions, blending simplicity with profound meaning. His words are more than just poetry; they are a reflection of life’s journey, filled with moments of joy, sorrow, hope, and nostalgia. Whether expressing the pain of separation, the sweetness of memories, or the silent conversations of the heart, Gulzar’s Shayari speaks directly to the soul. This timeless quality of his verses continues to inspire and comfort countless fans, reminding us that in the quiet of his words, we often find echoes of our own lives.
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